महाराष्ट्र की पावन नगरी नासिक और त्र्यंबकेश्वर में दो साल बाद, यानी 2027 में, 'सिंहस्थ कुंभ मेला' का भव्य आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार इस आयोजन को वैश्विक स्तर पर सफल बनाने के लिए संकल्पित है। प्रयागराज महाकुंभ की तर्ज पर नासिक कुंभ के लिए 25,055 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट भी मंजूर किया गया है। लेकिन, तैयारियों के बीच एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है—1800 पेड़ों की कटाई का मामला।
विवाद का केंद्र: तपोवन और 'साधुग्राम'
कुंभ मेले के दौरान देशभर से आने वाले लाखों साधु-संतों के ठहरने के लिए नासिक के तपोवन इलाके में एक विशाल 'साधुग्राम' (साधुओं का गांव) बनाने की योजना है। नासिक नगर निगम (NMC) ने इस कार्य के लिए लगभग 54 एकड़ जमीन को खाली करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें वर्तमान में 1,800 पेड़ खड़े हैं।
तपोवन का महत्व:
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यह रामकुंड से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने अपने वनवास का कुछ समय यहीं बिताया था।
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पिछले कुंभ मेलों में भी इस स्थान का उपयोग साधुओं के निवास के लिए किया गया है।
क्यों हो रहा है पेड़ों की कटाई का विरोध?
तपोवन में स्थित ये पेड़ लगभग 10-12 साल पुराने हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये पेड़ नासिक नगर निगम ने ही जमीन पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए लगाए थे। समय के साथ, यह क्षेत्र नासिक के लिए एक 'शहरी फेफड़े' (Urban Lung) के रूप में विकसित हो गया।
जब नवंबर की शुरुआत में स्थानीय निवासियों ने पेड़ों पर कटाई के नोटिस देखे, तो विरोध की लहर दौड़ गई। पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों का तर्क है कि साधुग्राम के लिए अन्य वैकल्पिक स्थानों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे इन हरे-भरे पेड़ों को बचाने में मदद मिलेगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट का हस्तक्षेप: सरकार को झटका
पेड़ों की कटाई के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार और नासिक नगर निगम को नोटिस जारी किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोर्ट ने मौखिक रूप से निर्देश दिया है कि फिलहाल पेड़ों की कटाई शुरू न की जाए। यह देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो कुंभ के बुनियादी ढांचे को समय पर पूरा करना चाहती है।
जन-आंदोलन: 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ'
नासिक में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला तेज हो गया है। मशहूर मराठी अभिनेता और पर्यावरण कार्यकर्ता सयाजी शिंदे सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और स्थानीय लोग 'चिपको आंदोलन' की तर्ज पर पेड़ों को गले लगाकर विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी प्लेकार्ड्स लेकर तपोवन में डेरा डाले हुए हैं, उनका स्पष्ट कहना है कि आस्था के नाम पर पर्यावरण की बलि नहीं दी जानी चाहिए।
क्या है सरकार की योजना?
सरकार का लक्ष्य इस बार पिछले कुंभ की तुलना में पांच गुना अधिक भीड़ को संभालना है। इसके लिए लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा और स्वच्छता के व्यापक इंतजाम किए जाने हैं। देवेंद्र फडणवीस, जो 2014 के कुंभ के दौरान भी मुख्यमंत्री थे, इस बार के आयोजन को एक 'स्मार्ट कुंभ' के रूप में पेश करना चाहते हैं। हालांकि, तपोवन का यह कानूनी पेंच अब उनके सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है।